कंवरपाल, शिक्षा जी मंत्र का कहना है
किसी भी अभिभावक से जबरन फीस नहीं ली जा सकती, न ही निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें लगा सकते हैं। अफसरों से कहा गया है कि जिन स्कूलों में फीस में भारी इजाफे की शिकायत मिली है, उनके पिछले साल और इस साल के शुल्क का रिकॉर्ड मंगाया जाए। इसके बाद सही स्थिति सामने आ जाएगी और नियमों की अवहेलना पर कठोर कार्रवाई होगी।

लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ने से अधिकतर अभिभावकों की कमर टूट चुकी है। बच्चों के भविष्य और अभिभावकों की मजबूरी के चलते सरकार ने व्यवस्था बनाई कि कोई स्कूल दाखिला फीस नहीं लेगा, न ही लॉकडाउन अवधि के दौरान तीन महीने की फीस ली जाएगी। इसके उलट कई बड़े निजी स्कूलों ने उगाही के लिए शॉर्टकट अपनाते हुए 30 से 50 फीसद तक ट्यूशन फीस और वार्षिक शुल्क बढ़ा दिया है। वह भी तब, जब नियमानुसार दस फीसद से ज्यादा फीस नहीं बढ़ाई जा सकती है।
अनाप-शनाप फीस बढ़ाने वालों में अधिकतर नामी-गिरामी स्कूल शामिल हैं। इनके खिलाफ प्रदेश में कई अभिभावक संगठनों ने मोर्चा खोलते हुए अदालत में जाने की तैयारी कर ली है। राज्य और केंद्र सरकार से लेकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) तक शिकायत की जा रही है।
पूरे प्रदेश में मान्यता प्राप्त 2871 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 2044 हाई स्कूल और 3232 प्राथमिक स्कूल हैं। अधिकतर बड़े निजी स्कूल प्रदेश सरकार के आदेशों की परवाह नहीं कर रहे। इनमें आधे से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने फीस वृद्धि के लिए जरूरी फार्म छह तक नहीं भरा था। बड़ी संख्या में निजी स्कूलों ने दाखिला फीस तथा अन्य शुल्कों की क्षतिपूर्ति के लिए चालाकी से ट्यूशन फीस में भारी-भरकम बढ़ोतरी कर दी। स्कूलों द्वारा अभिभावकों को ई-मेल और मोबाइल फोन पर संदेश भेजे जा रहे कि स्कूल के अपने खर्चे हैं। अभिभावकों को फीस तो देनी पड़ेगी, अन्यथा बच्चे को कहीं और पढ़ा लें।
ऐसे समङिाये गणित: पंचकूला में शिक्षा विभाग का मुख्यालय है। यहां के सेक्टर-15 स्थित एक नामी-गिरामी स्कूल में पढ़ रहे बच्चे के अभिभावक ने बताया कि पहले उसकी बेटी की ट्यूशन फीस 2300 रुपये महीना थी, जिसे अब 5100 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह सेक्टर-16 स्थित एक बड़े निजी स्कूल में जहां पिछले साल दाखिला शुल्क के नाम पर पुराने छात्रों से 22 से 25 हजार और नए छात्रों से 50 से 60 हजार रुपये लिए जा रहे थे, वहीं इस बार यह शुल्क 12 हिस्सों में बांटकर मासिक शुल्क में जोड़ दिया गया है। इसकी वजह विद्यार्थियों के अभिभावक काफी परेशान हैं। कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति प्रदेश के हर जिले में है।
निजी स्कूलों की भी मजबूरियां: हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष एवं एनआरएम शिक्षा समूह के राष्ट्रीय प्रधान सत्यवान कुंडू के अनुसार, निजी स्कूलों की भी अपनी मजबूरियां हैं। बिना फीस लिए स्टाफ की सैलरी कहां से देंगे? इसलिये फीस मसले पर सरकार पुनर्विचार करे। उन्होंने दावा किया कि कोई स्कूल फीस वसूली का दबाव नहीं बना रहा, लेकिन सक्षम लोगों को खुद ही फीस जमा करनी चाहिए।
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